पिछले 8 सालों में दुनिया भर में हर साल 20 मिलियन से अधिक बच्चों को नहीं मिली खसरे की वैक्सीन, जिसके चलते दुनिया में खसरे के प्रकोप की संभावना बढ़ी-

binod takiawala

न्यूयॉर्क, 25 अप्रैल, 2019ः एक अनुमान के मुताबिक 2010 से 2017 के बीच 169 मिलियन बच्चों को मीज़ल्स यानि खसरे की पहली वैक्सीन नहीं दी गई, यानि हर साल तकरीबन 21.1 मिलियन बच्चों को खसरे की वैक्सीन नहीं मिली, युनिसेफ ने आज बताया।

बच्चों को खसरे की वैक्सीन न मिलने के कारण आज दुनिया भर के कई देशों में खसरे के प्रकोप की संभावना कई गुना बढ़ गई है।

‘‘दुनिया भर में खसरा फैलने की इस संभावना की शुरूआत कई साल पहले हो गई थी।’’ हेनरिएटा फोर, यूनिसेफ की एक्ज़क्टिव डायरेक्टर ने कहा। ‘‘खसरे का वायरस उन बच्चों को बड़ी आसानी से प्रभावित करता है जिन्हें खसरे की वैक्सीन नहीं दी गई है। अगर हम वास्तव में इस खतरनाक बीमारी को फैलने से रोकना चाहते हैं तो हमें गरीब और अमीर सभी देशों में हर बच्चे को खसरे की वैक्सीन देनी होगी।’’

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2019 को पहले तीन महीनों में दुनिया भर में खसरे के 110,000 मामले दर्ज किए गए- जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 300 फीसदी अधिक हैं। एक अनुमान के मुताबिक 2017 में 110,00 लोगों की मृत्यु खसरे के कारण हुई, जिनमें ज़्यादातर बच्चे थे, इस दृष्टि से भी पिछले साल की तुलना में 22 फीसदी की वृद्धि हुई है।

बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए खसरे की वैक्सीन की दो खुराक दी जाती है। हालांकि उपलब्धता की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता, कुछ मामलों में वैक्सीन को लेकर डर या संदेह के कारण 2017 में दुनिया भर में खसरे की पहली वैक्सीन का कवरेज 85 फीसदी रहा, यह आंकड़ा आबादी बढ़ने के बावजूद पिछले कई दशकों से स्थिर बना हुआ है। वहीं दूसरी खुराक की बात करें तो दुनिया भर में यह कवरेज और भी कम- 67 फीसदी रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बीमारी से प्रतिरक्षा हासिल करने के लिए कम से कम 95 फीसदी कवरेज ज़रूरी है।

हाल ही जारी आंकड़ों के अनुसार उच्च आय वाले देशों में पहली खुराक का कवरेज 94 फीसदी है, जबकि दूसरी खुराक का कवरेज 91 फीसदी है।

संयुक्त राज्य- उच्च आय वाले देशों की सूची में शीर्ष पायदान पर है, जहां 2010 से 2017 के बीच 2.5 मिलियन से अधिक बच्चों को खसरे की पहली खुराक नहीं दी गई। इसके बाद इसी अवधि के दौरन फ्रांस और युके में क्रमशः 600,000 और 500,000 बच्चों को खसरे की पहली खुराक नहीं मिली।

निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों की बात करें तो स्थिति और भी गंभीर है। साल 2017 में नाईजीरिया में एक साल से कम उम्र के सबसे अधिक यानि 4 मिलियन बच्चों को खसरे की पहली खुराक नहीं मिली। भारत में 25 मिलियन बच्चे हर वर्ष जन्म लेते हैं और 88 प्रतिशत कवरेज होने के बावजूद 2.9 मिलियन बच्चों को खसरे की पहली खुराक नहीं मिल पाती है। इसके बाद पाकिस्तान और इंडोनेशिया (1.2 मिलियन प्रत्येक), और इथियोपिया (1.1 मिलियन)का स्थान हैं।

दुनिया भर में खसरे की दूसरी खुराक का कवरेज और भी चिंताजनक है। 2017 में शीर्ष पायदान के 20 में से 9 देशों में बच्चों को खसरे की वैक्सीन की दूसरी खुराक नहीं दी गई। सब-सहारा अफ्रीका के बीस देशों की टीकाकरण सूची में खसरे की दूसरी खुराक को आवश्यक रूप से शामिल नहीं किया गया है, जिसके चलते एक साल में 17 मिलियन से अधिक बच्चे अपने बचपन के दौरान खसरे के लिए जोखिम पर आ जाते हैं।

युनिसेफ मीज़ल्स एण्ड रूबेला इनीशिएटिव तथा गावी, द वैक्सीन अलायन्स के साथ साझेदारी में इस संकट को दूर करने के लिए प्रयासरत हैः

ऽ वैक्सीन की कीमतों में कमीः खसरे की वैक्सीन की कीमत अब तक की सबसे कम लागत पर पहुंच गई है;

ऽ देशों में उन क्षेत्रों और उन बच्चों तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है जहां आज भी खसरे की वैक्सीन का कवरेज नहीं है।

ऽ वैक्सीन एवं टीकाकरण के लिए अन्य आपूर्ति की खरीद;

ऽ नियमित टीकाकरण कवरेज में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए पूरक टीकाकरण अभियानों का समर्थन

ऽ देशों के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में दूसरी खुराक को शामिल करने के लिए प्रयास। इसके लिए 2019 में कैमरून, लाईबेरिया और नाइजीरिया पर ध्यान दिया जा रहा है।

ऽ वैक्सीन को सही तापमान पर रखने के लिए आध्ुनिक तकनीकों जैसे सोलर पावर और मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

फोर ने कहा, ‘‘खसरा एक संक्रामक बीमारी है। इसके लिए न केवल वैक्सीन का कवरेज बढ़ाना ज़रूरी है बल्कि यह सुनिश्चित करना भी ज़रूरी है कि हर व्यक्ति को बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन की सही खुराक मिले।’’

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भारत में संपादकों के लिए नोट्स :

सम्पूर्ण टीकाकरण कवरेज (एफआईसी) को गति देने के लिए और जिस तक पहुंच नहीं गया है , उस तक पहुंचने के लिए , भारत सरकार ने मिशन इंद्रधनुष नामक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया था। 190 जिलों में कराया गया एक हालिया सर्वे बताता है कि मिशन इंद्रधनुष के बाद , सम्पूर्ण टीकाकरण कवरेज वाले बच्चों के अनुपात में मिशन इंद्रधनुष से पहले की तुलना में 18.5 प्रतिशत की वृद्वि हुई है। मिशन इंद्रधनुष से सीखे गए सबकों का इस्तेमाल देशभर में इस उद्ेश्य के साथ कि देश में 90 प्रतिशत एफआईसी को हासिल करने व बनाए रखने के लिए देशभर में छूट गए बच्चों तक पहुंचने के लिए किया जा रहा है । भारत ने पांच साल से कम आयु के बच्चों में निमोनिया और डायरिया संबधित मौतों व तकलीफों से बचाव व कम करने के लिए न्यूमोकोकल और रोटावायरस जैसे नए वैक्सीन शुरू कर मजबूत प्रतिबद्वता का प्रदर्शन किया है।

‘‘भारत ने फरवरी 2017 के बाद से खसरा और रूबेला अभियान के माध्यम से 305 मिलियन बच्चों को टीकाकरण देकर उल्लेखनीय प्रगति की है। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास जारी हैं कि हर बच्चे को खसरे, रूबेला एवं टीकाकरण से रोकी जा सकने वाली अन्य बीमारियों से सुरक्षित रखा जाए। इस विश्व टीकाकारण सप्ताह के मौके पर आइए वैक्सीन रुटंबबपदमेॅवता की क्षमता के साथ लोगों में जागरुकता बढ़ाएं, कीमती ज़िंदगियां बचाएं और सुनिश्चित करें कि किसी भी बच्चे की मृत्यु उन बीमारियों की वजह से न हो जिसे टीकाकरण द्वारा रोका जा सकता है।’’ डॉ यास्मीन अली हक, युनिसेफ इण्डिया के प्रतिनिधि ने कहा।

फोटो और ब्रोल डाउनलोड करें here.

विश्लेषण के बारे में 

यह विश्लेषण 2017 के लिए 194 देशों के राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज के युनिसेफ एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों पर आधारित हैं। खसरे और रूबेला के प्रावधानिक आंकड़े अप्रैल 2019 में विश्व स्वास्थ्य संगठन जेनेवा को रिपोर्ट किए गए मासिक आंकड़ों पर आधारित हैं। उच्च आय वाले देशों के लिए जुलाई 2018 में आय के आधार पर देशों का विश्व बैंक का वर्गीकरण देखें।

विश्व टीकाकरण सप्ताह के बारे में

सभी आयु वर्गों के लोगों को टीकों या वैक्सीन के इस्तेमाल द्वारा रोगों से सुरक्षित रखना पिछले सप्ताह अप्रैल में मनाए गए विश्व टीकाकरण सप्ताह का उद्देश्य है। युनिसेफ के विश्व टीकाकरण सप्ताह के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

खसरे और रुबेला की पहलों के बारे में

युनिसेफ की खसरा एवं रूबेला पहल विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीडीसी, युनाईटेड नेशन्स फाउन्डेशन और अमेरिकन रैड क्रॉस की सार्वजनिक निजी भागीदारी है, जो दुनिया भर में खसरे और रुबेला के उन्मूलन एवं नियन्त्रण के लिए प्रयासरत है।

यूनिसेफ के बारे में

यूनिसेफ विश्व के सबसे अधिक वंचित बच्चों तक पहुंचने के लिए विश्व की सबसे मुश्किल जगहों में से कुछेक में काम करता है। 190 देशों और क्षेत्रों में, हम एक बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए , हरेक बच्चे के लिए हर जगह काम करते हैं। यूनिसेफ के बारे में अधिक जानकारी और बच्चों के बारे में इसके कार्यों के लिए विजिट करें www.unicef.org.

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