शिवसेना के बाद अब एनडीए का एक और घटक दल तेलगु देशम पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ सकती है. बजट पर टीडीपी ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे आंध्र प्रदेश की जनता के साथ धोखा बताया है. साथ ही पार्टी ने केंद्रीय बजट को जनविरोधी और कारोबारियों के लिए हितकारी बताया है. टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष सहायता देने पर केंद्र के ढीले रुख से भी नाराज बताई जा रही है.
सूत्रों के मुताबिक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू इस बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं. नायडू ने रविवार के दिन पार्टी सांसदों को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए भी बुलाया है. पार्टी के पास लोकसभा में 16 सांसद और राज्यसभा में 6 सांसद हैं.
नायडू को अन्य विकल्पों से परहेज नहीं!
सूत्रों ने इस बात से भी इनकार नहीं किया कि नायडू अन्य राजनीतिक विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं. पार्टी जनता से भी इस बारे में राय ले रही है कि उसे 2019 तक बीजेपी के साथ रहना चाहिए या फिर अलग होकर चुनाव लड़ना चाहिए.
PM से की दखल की मांग
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को आंध्र में 2 फीसद वोट मिले थे, लेकिन अगले चुनाव में ये वोट फीसद बढ़कर 6 तक जा सकता है. ऐसे में पार्टी को अलग होने से पहले होने वाले इस नुकसान की भरपाई के लिए योजना बनानी होगी.
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि नायडू नाराज हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज भी कराई थी, लेकिन उसका ज्यादा असर पड़ा नहीं, अब अगर पीएम दखल दें तो मुद्दा सुलझ सकता है.
टीडीपी के एक अन्य नेता ने कहा कि अब कुछ ही विकल्प बचे हैं, उनमें से एक है कि हम बीजेपी को बताएं कि अगर हमारी मांग नहीं मानी जाती हैं तो टी़डीपी कैबिनेट से अपने मंत्रियों को वापस बुला लेगी.
बताया जा रहा है कि नायडू राज्य के लिए उचित आर्थिक मदद और तेलंगाना के गठन के बाद लंबित पड़ी योजनाओं की मंजूरी में देरी से नाराज है. हैदराबाद के तेलंगाना में जाने के बाद आंध्र राजस्व की भारी दिक्कतों से जूझ रहा है.
अधर में आंध्र की योजनाएं
केंद्र सरकार में टीडीपी कोटे से एक मंत्री ने कहा कि 8 अगस्त 2016 की मध्य रात्रि को चर्चा के बाद केंद्र ने आंध प्रदेश को विशेष पैकेज देने पर सहमति जताई थी, जिसके बाद टी़डीपी अलग राज्य की मांग को वापस लेने के लिए भी तैयार हो गई थी. लेकिन तब से राज्य को पैकेज का एक पैसा भी नहीं मिला है. टीडीपी का कहना है कि विशाखापत्तनम को जोनल रेलवे बनाने, कडप्पा स्टील प्लांट को मंजूरी जैसी कई अन्य ऐसी मांग हैं जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं.
टीडीपी पिछले कुछ महीनों से लगातार अपनी सहयोगी बीजेपी को निशाना बना रही है. इस बीच वाईएसआर कांग्रेस के चीफ वाई एस जगन मोहन रेड्डी भी इस मौके को भुनाने में जुटे हैं. जगन पहले ही जाहिर कर चुके हैं कि अगर केंद्र आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दे तो वो एनडीए में शामिल होने के लिए तैयार हैं.
नए साथी की तलाश!
टीडीपी के सूत्रों के मुताबिक बीजेपी अगर वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो जाती है तो नायडू के पास प्लान B तैयार है. इसमें प्लान के तहत टीडीपी छोटे लेकिन प्रचलित दल जन सेना के साथ गठबंधन कर सकती है, जो कि बीजेपी की जगह टीडीपी के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होगा.
गठबंधन में दरार बीजेपी के लिए अच्छी खबर नहीं है. दक्षिण में अपनी पहुंच बढ़ाने की जुगत में लगी बीजेपी तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र में स्थानीय सहयोगियों के बिना आगे नहीं बढ़ सकती.
दूसरा अगर बीजेपी इस वक्त टीडीपी का साथ छोड़ वाईएसआर कांग्रेस से हाथ मिलाती है तो इससे गलत संदेश जा सकता है, क्योंकि वाईएसआर प्रमुख जगन पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हैं.