डाँगी गुनाऊँ विद्यालय के हेमंत चौकियाल को चुना गया शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए

देहरादून । मूल रूप से तल्ला नागपुर पट्टी के ग्राम धारकोट (चोपड़ा) के निवासी शिक्षक हेमंत चौकियाल को पिछले तीन दशकों से ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यार्थियों के साथ छोटे-छोटे नवाचारों के लिए वर्ष 2021 का प्रतिष्ठित सम्मान शैलेश मटियानी राज्य पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
रूद्रप्रयाग जिले के तीनों विकास खण्डों में कार्य करने वाले नवाचारी शिक्षक हेमंत चौकियाल ने जिले के ऊखीमठ विकास खण्ड के दुर्गम क्षेत्र के आधारिक विद्यालय स्यासूं से तीन दशक पूर्व अपनी शिक्षक यात्रा शुरू की। यहां रहते हुए प्रारम्भिक भाषा शिक्षण में लय बद्ध ढंग से सीखने में अन्त्याक्षरी कितनी मददगार हो सकती है?इस कार्य ने उन्हें बहुत लोकप्रियता दिलाई। इसी विकास खण्ड के दुर्गम श्रेणी के प्राथमिक विद्यालय जाल मल्ला में 12 वर्षों तक कार्यरत रहते हुए उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान के प्रारंभिक वर्षों में कई मील के पत्थर स्थापित करते हुए न केवल विकास खण्ड में बल्कि जनपद और प्रदेश में एक अलग पहचान बनाई, जहाँ पर रहते हुए श्री चौकियाल ने लगभग प्राथमिक स्तर पर पढ़ाये जाने वाले हर विषय में अपने नवाचारों के कारण प्राथमिक शिक्षा और प्राथमिक शिक्षकों में एक अलग ही छवि हासिल की।
विद्यालय विकास में प्रबन्धन समिति का उपयोग कैसे हो? पर उन्होंने अपना “रिसर्च एण्ड एक्शन” नामक अभिनव प्रयोग शुरू किया, जिससे अत्यल्प संसाधनों की कमी के निपटने के लिए विद्या दान सरस्वती योजना. की शुरूआत हुई।जिसमें उन्होंने सेवित क्षेत्र के हर परिवार से सहयोग लेकर विद्यालय में पूर्ण संसाधन जुटाये। यही कारण था कि सर्वशिक्षा के पहले मूल्यांकन में जालमल्ला विद्यालय को जिले का प्रथम और एकमात्र भौतिक A ग्रेड का विद्यालय बनने का गौरव प्राप्त हुआ। वर्ष 2004-05 में बाल अखबार की अवधारणा को धरातल पर उतारने वाले वे पहले शिक्षक रहे।
शैक्षिक गतिविधियों के अलावा क्षेत्र के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक कार्यों में भी श्री चौकियाल की भागीदारी न केवल बच्चों को प्रोत्साहित करती रही बल्कि समाज के लिए भी अनुकरणीय बनी। बालकों और विशेषकर बालिकाओं को घर की चाहरदीवारी के बाहर लाने के लिए उन्होंने खेलों में बालिकाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विशेष कार्य किये। खेल और पढ़ाई का अच्छे से अच्छा सामंजस्य स्थापित करते हुए उन्होंने जाल मल्ला विद्यालय के बच्चों को अल्प संसाधनों में कई बार राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं के लिए तैयार किया। इससे पूर्व स्याँसू विद्यालय में पढ़ने – लिखने की गतिविधि में उन्होंने गेय कविताओं के माध्यम से बच्चों को सरलतम ढंग से वर्णमाला और बारहखड़ी सीखने व सिखाने के नवाचार के कारण क्षेत्र में अच्छी लोकप्रियता हासिल की। उनके समय में स्याँसू विद्यालय के बच्चों से किसी भी विद्यालय के बच्चों का अन्त्याक्षरी में जीतना लगभग नामुमकिन सा था।
संकुल कालीमठ में रहते हुए अभिनव ढंग से सामूहिक बाल मेला और अभिभावक जनप्रतिनिधि- शिक्षक सम्मेलन के आयोजन में मुख्य भूमिका के लिए भी खासे चर्चित हुए ।
जखोली विकास खण्ड के जूनियर हाई स्कूल लड़ियासू में (वर्ष 2010 से 15 तक ) रहते हुए उन्होंने अंग्रेजी में छापे के अक्षरों (जो किताबों में छपे रहते हैं) को लिखने के अक्षरों में सरलता से लिखना सीखना, उनका एक्शन रिसर्च तत्कालीन समय में बहुत लोकप्रिय हुआ। यहीं पर रहते उन्होंने तत्कालीन समय की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तकों से बच्चों के साथ मिलकर डिक्शनरी बनाने का नवाचार किया, जिससे बच्चों की दक्षता में काफी इजाफा हुआ। वर्ष 2015 में समायोजन के पश्चात अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के जूनियर हाई स्कूल डाँगी गुनाऊँ में आकर श्री चौकियाल ने खेल-खेल में विज्ञान गणित को सिखाने के लिए कई नवाचार प्रारंभ किये। इन्हीं नवाचारों के कारण उनके कई छात्रों ने विज्ञान महोत्सव और इन्सपायर अवार्ड जैसी प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय किया।उनके नवाचार विषय विशेष तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने विद्यालय स्तर की हर समस्या पर नवाचार करने का प्रयास किया।
मध्याह्न भोजन में बच्चों को अधिकतम पोषण कैसे मिले?उनका यह एक्शन रिसर्च खासा चर्चित रहा। वर्षा जल का मापन, दैनिक तापमान का मापन, पौधों की वृद्धि दर का मापन,दैनिक विद्यालयी गतिविधियों में विभिन्न ऐक्शन रिसर्च के लिए चुना गया ।
पुरानी पत्र /पत्रिकाओं से पाठ्यसहगामी पुस्तकों के रूप में उन्होंने बच्चों की मदद से 9 पुस्तकों का निर्माण किया, जो मूल पुस्तकों के प्रकरणों को विशद रूप से समझने में मदद करती हैं। बच्चों और समाज के बीच विज्ञान को जानने /समझने और उसके प्रचार-प्रसार के लिए वे बच्चों के साथ अभिनव प्रयोगों में लगे हैं। उनके इन्ही प्रयासों का प्रतिफल रहा है कि उनके कई छात्र विज्ञान महोत्सव, इन्सपायर अवार्ड, उड़ान, आविष्कार जैसी प्रतियोगिताओं में राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक का सफर तय कर चुके हैं।
सार्वजनिक शिक्षा में इसी तरह की बेहतरी के प्रयासों के लिए अब विभिन्न शैक्षिक, सामाजिक,साहित्यिक सांस्कृतिक, सरकारी व गैरसरकारी संगठन उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। अब तक श्री चौकियाल को पाँच दर्जन से अधिक प्रशस्ति और सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।इन अलंकरणों में ग्राम स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक के छोटे – बड़े सम्मान सम्मिलित हैं। श्री अरविंदों सोसाइटी भी श्री चौकियाल के शून्य निवेश नवाचारों का सम्मान कर चुकी है। हाल ही में उन्होंने साराभाई टीचर साइन्टिस्ट अवार्ड (6से 8 कक्षा वर्ग में) में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल किया। इस पुरस्कार में गोल्ड मेडल के साथ नकद पुरस्कार हासिल करने के साथ ही उन्हें नेशनल काउन्सिंल ऑफ टीचर साइन्टिस्ट की सदस्यता से भी सम्मानित किया गया है।शिक्षण में तीन दशकों से किये जा रहे अभिनव प्रयासों के लिए उन्हें शिक्षा जगत के वर्ष 2021 के प्रतिष्ठित शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए चुना गया है।