आयुष मंत्रालय ने “वैश्विक स्वास्थ्य में आयुर्वेद विज्ञान की संभावना” के बारे में संगोष्ठी का आयोजन किया

नई दिल्ली में 61 देशों के राजदूतों/ उच्चायुक्तों और राजनयिकों ने आज नई दिल्ली में आयुष मंत्रालय द्वारा विदेश मंत्रालय के समन्वय से “वैश्विक स्वास्थ्य में आयुर्वेद विज्ञान की संभावना” पर आयोजित संगोष्ठी में भाग लिया। विदेश मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम जयशंकर तथा आयुष (स्वतंत्र प्रभार) और रक्षा राज्यमंत्री श्री श्रीपद नाइक भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

इस संगोष्ठी के आयोजन का उद्देश्य सभी राजदूतों/ उच्चायुक्तों को जागरूक करना और उन्हें आयुर्वेद में हुए उन्नत अनुसंधान और हाल की प्रगति के बारे में जानकारी देना था। ये गणमान्य व्यक्ति विभिन्न देशों में आयुर्वेद की सदियों पुरानी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली की स्थापना की संभावनाओं का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उम्मीद है कि इस संगोष्ठी के माध्यम से दुनिया भर में आयुर्वेद के प्रचार और मान्यता प्राप्त करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

आयुष मंत्रालय विश्व स्तर पर आयुर्वेद और चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्रालय ने आयुष सेवाओं के साथ-साथ एएसयू एडं एच उत्पादों के गुणवत्ता मानकों को मजबूत मनाने के लिए कई पहल की हैं। दुनिया में आयुर्वेद के सिद्धांतों पर प्रकाश डालने के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए और विभिन्न देशों के राजनयिकों के बीच आयुर्वेद की क्षमता और प्रभाविता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ही आयुष मंत्रालय ने इस संगोष्ठी का आयोजन किया है।

राजदूतों और उच्चायुक्तों को देश में आयुर्वेद प्रणाली के मजबूत बुनियादी ढांचे और विनियामक प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गई। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की महानिदेशक डॉ. तनुजा नेसारी ने आयुर्वेद में परिचय शिक्षा और इलाज पर एक प्रस्तुति दी। एम्स के एनएमआर के विभागाध्यक्ष प्रो. रामा जयसुंदर ने आयुर्वेद के पीछे विज्ञान और तर्क पर एक विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रो. वैद्य के. एस. धीमान ने अनुसंधान के माध्यम से जुटाए गए साक्ष्यों पर  प्रकाश डाला।

नवीनतम अनुसंधान प्रकाशनों की एक प्रदर्शनी का भी राजनयिकों के लिए आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में राजनयिकों ने भी गहरी रुचि दिखाई और आयुर्वेद के विभिन्न साहित्य के बारे में पूछताछ की।