कोरियन कल्चरल सेंटर इंडिया और सेंटर फॉर कल्चरल मिडिया एवं गवर्नेंस , जामिया मिलिया इस्लामिया ने मिलकर विषय, भारत में – कोरियाई सांस्कृतिक लहर ‘ पर अंतराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य भारत में कोरियाई सांस्कृत एवं अकादमिक जुड़ाव को प्रोत्साहित करना था , साथ ही दक्षिण कोरियाई की संस्कृति की बढ़ती लोकप्रियता , भाषा ,एवं साहित्य को एक साथ रखना , जिसे कोरिया भाषा में के -वेव कहा जाता है |
इस कार्यक्रम का उद्घाटन कोरिया के चुंगनाम राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुंग क्यूम चो द्वारा किया गया, जिन्होंने “आर्थिक, राजनीतिक, और तकनीकी कारकों के बारे में चर्चा की |
इस मौके पर कोरिया गणराज्य के मंत्री चोई जोंग हो ने कहा कि कुछ साल पहले तक भारत कोरियाई लहर से अछूता था , पर अरिरंग और केबीएस दुनिया टीवी चैनलों के माध्यम से अब कोरियाई संस्कृति की लोकप्रियता भारत में तेजी से बढ़ गई है |
कोरियाई संस्कृति केंद्र भारत के निदेशक श्री किम कुम-प्योंग ने कहा, ” कि हम पिछले 07वर्षों से कोरिया और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों और भारत में के-वेव के लोकप्रियता के लिए काम कर रहे है। इस सेमिनार के माध्यम से हम के-वेव के विभिन्न पहलुओं के बारे में पूरे भारत की जमीनी स्थिति को समझना चाहते हैं। ”
नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति प्रोफेसर नजमा अख्तर ने कहा कि कोरियाई संस्कृति अध्ययन एक विनम्र शुरुआत के रूप में शुरू हुआ, जो अब के-वेव से सुनामी में तब्दील हो गया है , और हमारी युवा पीढ़ी को इसके लिए तैयार रहना होगा। कोरिया द्वारा विश्वविद्यालयों और स्कूलों में की गई पहल से पता चलता है कि कोरिया अपने समय से कहीं आगे सोचता है। उन्होंने कहा कि जामिया ने प्रमाणपत्र और स्नातक पाठ्यक्रमों के साथ शुरुआत की और स्कूलों में कोरियाई भाषा कार्यक्रम शुरू करने के लिए भी तैयार है। साथ ही 2020 तक जामिया लड़कियों के लिए ताइक्वांडो कक्षाएं शुरू करेगा।
सेमिनार 12 पेपरों के साथ 3 सत्रों में विभाजित था, जो भारत में खोजे गए विभिन्न कोरियाई सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन करते हैं | मुख्यतः विषय था – भारत में उपसंस्कृति और फैंडम, कोरियाई भाषा शिक्षा और साहित्य और आखिरी था – कोरियाई लहर: लोकप्रिय संस्कृति, उद्योग और प्रभाव।