सौभाग्य से देश के राजनीतिक दलों को अब बहुसंख्यक हिन्दू समाज का महत्त्व समझ में आने लगा है । ‘सेक्युलर’वादी नेता अब मंदिरों में, हिन्दुआें के कार्यक्रमों में दिखाई देने लगे हैं । उसी प्रकार मेघालय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने भी ‘विभाजन के उपरांत भारत को हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए था’, ऐसा मत अपने निर्णय में व्यक्त किया है । इसी दृष्टि से हिन्दू समाज को अपनी शक्ति का बोध कराकर, संगठित रूप से हिन्दू राष्ट्र साकार करने हेतु आगे के कार्य की दिशा निश्चित करना भी आवश्यक है । इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से गोवा में इस वर्ष भी 27 मई से 8 जून की कालावधि में ‘श्री रामनाथ देवस्थान’, फोंडा, गोवा में ‘अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ आयोजित किया गया है, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सदगुरु (डॅा) चारुदत्त पिंगले इन्होंने पत्रकार परिषद में दी ।
इस पत्रकार परिषद में नई दिल्ली के विधायक श्री. कपिल मिश्र, हिन्दू फ्रंट फॅार जस्टिस के प्रवक्ता , सर्वोच्च् न्यायालय अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन एवं सनातन संस्था की दिल्ली प्रवक्ता कु. कृतिका खत्री उपस्थित थे । यह परिषद 20 मई को दिल्ली प्रेस क्लब में आयोजित की गई थी ।
सदगुरु (डॅा) पिंगले जी ने आगे कहा, ‘‘गत 7 वर्षों के अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशनों के फलस्वरूप ‘हिन्दू राष्ट्र’ इस संकल्पना के बारे में व्यापक स्तर पर जागृति हुई है । अष्टम अधिवेशन को भारत के 26 राज्यों सहित बांग्लादेश के ऐसे कुल मिलाकर 200 से अधिक संगठनों के 800 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित रहनेवाले हैं । केंद्र में नई सरकार की स्थापना के उपरांत कश्मीरी हिन्दुआें का पुनर्वास, समान नागरिक कानून, धारा 370 निरस्त करना, गोवंश हत्या प्रतिबंध, धर्मांतर प्रतिबंध, अयोध्या में श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण आदि हिन्दुआें की पिछले अनेक वर्षों से प्रलंबित समस्याआें पर विचारमंथन कर सरकार को ठोस भूमिका लेने पर विवश करने की दृष्टि से संगठनात्मक प्रयत्नों की निश्चिति इस अधिवेशन में की जाएगी । साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के हिन्दुआें की रक्षा करने के संदर्भ में चर्चा की जाएगी ।
हिन्दू अधिवक्ता अधिवेशन, उद्योगपति अधिवेशन, ‘सोशल मीडिया कॉन्क्लेव’, तथा ‘हिन्दू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण एवं अधिवेशन’ का भी आयोजन !
पूरे देश में बढ रही सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों को रोकने के लिए और भारत को संवैधानिक दृष्टिकोण से ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करने की दृष्टि से कृति निश्चित करने के लिए ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के अंतर्गत धर्मप्रेमी अधिवक्ताआें का ‘हिन्दू अधिवक्ता अधिवेशन’ आयोजित किया गया है । यह अधिवेशन 27 और 28 मई को होनेवाला है, ऐसा अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन जी ने बताया ।
इस समय सनातन संस्था के कु. कृतिका खत्री जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा की, ‘समाज, राष्ट्र एवं धर्म हेतु कार्यरत व्यवसायी, व्यापारी और उद्योगपतियों का क्रियाशील संगठन करने के लिए तथा विविध आपत्तियों के काल में समाज के लिए सहायता करने की दृष्टि से नियोजन करने के लिए प्रथम एक दिवसीय ‘उद्योगपति अधिवेशन’ 28 मई को अधिवेशन के मुख्य स्थल पर आयोजित किया गया है’ ।
वे आगे बोले, ‘‘हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना 100 करोड हिन्दू समाज तक शीघ्र गति से पहुंचाने की दृष्टि से ‘सोशल मीडिया’ आज का सबसे प्रभावी माध्यम है । उसका महत्त्व ध्यान में रखते हुए ‘सोशल मीडिया’ क्षेत्र के धर्मनिष्ठ हिन्दू कार्यकर्ताआें और विचारकों के लिए प्रथम एक दिवसीय ‘सोशल मीडिया कॉन्क्लेव’ का भी आयोजन किया है । यह ‘कॉन्क्लेव’ रविवार, 2 जून को अधिवेशन के मुख्य स्थल पर होगा ।’’
कु. कृतिका खत्री जी ने अंत में कहा, ‘‘भ्रष्टाचार, शासन के अनुचित कार्यकलाप और धर्म पर होनेवाले विविध आघातों के विरुद्ध लडते समय हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताआें को विविध अडचनों और समस्याआें का सामना करना पडता है । इस दृष्टि से उनका प्रशिक्षण हो और इस धर्मकार्य में सफलता मिलने के लिए साधना संबंधी मार्गदर्शन देने हेतु ‘हिन्दू राष्ट्र-संगठक प्रशिक्षण और अधिवेशन’ आयोजित किया है । 5 से 8 जून की कालावधि में हो रहे इस अधिवेशन में प्रमुखतः धर्मकार्य करते समय हमारा आचरण कैसे हो, सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध संघर्ष कैसे करें, सूचना अधिकार कानून का प्रभावी रूप से उपयोग कैसे करें, कौशल्य विकास आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा ।
पत्रकारों से बातचीत के समय नई दिल्ली के विधायक श्री. कपिल मिश्र जी ने कहा, ‘‘गोवा में होनेवाले अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में 200 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन सम्मिलित होनेवाले हैं । इसमें मै स्वयं भी सम्मिलित होने वाला हू। इस अधिवेशन में राष्ट्र तथा हिन्दू धर्म से संबंधित अनेक विषयों पर चर्चा की जाएगी । सब हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन मिलकर जो कार्यक्रम निश्चित करेंगे, उसके अनुसार हम लोग संगठित रूप से हिन्दू धर्मजागृति का अभियान वर्षभर चलाएंगे । इस माध्यम से हम विश्वकल्याणकारी ‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना’ की दिशा में अधिक दृढता से बढेंगे, यह हमारा विश्वास है । इसी के साथ अधिवेशन में हम हिन्दूआेंको मूलभुत अधिकार मिले इस दृष्टिसे संविधान के आर्टिकल २५ से ३० तक जो बदलाव करना आवश्यक है इस विषय पर भी चर्चा कर आगे कि दिशा निश्चित कि जायेगी’’ ।
इस अधिवेशन के लिए बांग्लादेश स्थित ‘बांग्लादेश माइनॉरिटी वॉच’ के अध्यक्ष तथा अधिवक्ता रवींद्र घोष, ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष एवं राममंदिर आंदोलन के ज्येष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन, शबरीमला मंदिर के विषय में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करनेवाले अधिवक्ता जे. साईदीपक, केंद्रीय गृह मंत्रालय के भूतपूर्व वरिष्ठ अधिकारी एवं ‘हिन्दू आतंकवाद – एक मिथ्या’ इस पुस्तक के लेखक श्री. आर्.व्ही.एस्. मणी, बंगाल के प्रसिद्ध अधिवक्ता जॉयदीप मुखर्जी, ‘वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन’ के अजय सिंह, ‘टेम्पल वर्शिपर्स सोसाइटी’ के अध्यक्ष टी.आर. रमेश, केंद्र सरकार के भूतपूर्व सांस्कृतिक परामर्शदाता तथा धर्म के गहन अध्ययनकर्ता प्रा. रामेश्वर मिश्र, ‘हिन्दू मक्कल कत्छी’ पक्ष के संस्थापक अध्यक्ष अर्जुन संपथ, तेलंगाना के हिन्दुत्वनिष्ठ नेता एवं लोकप्रिय विधायक टी. राजासिंह, देहली के विधायक कपिल मिश्र आदि सहित अनेक मान्यवर उपस्थित रहेंगे ।’
27 मई’ से गोवा में अष्टम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ !

binod takiwala
दिल्ली, 20 मई, 2019 – सभी का ध्यान लोकसभा चुनावों के निर्णय की ओर है । केंद्र में नवगठित सरकार हिन्दूहित का विचार करेगी अथवा पाखंडी ‘सेक्युलर’वाद का समर्थन करेगी, यह आनेवाले कुछ ही दिनों में स्पष्ट होगा । इंदिरा गांधी ने 1976 में आपातकाल में विपक्ष को कारावास में रखकर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मूल संविधान में असंवैधानिक पद्धति से परिवर्तन कर, ‘सेक्युलर’ शब्द जोडा । तब से भारत में ‘सेक्युलर’वाद का उपयोग केवल अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण एवं अपनी मतपेटी सुरक्षित करने के लिए किया गया है । संविधान में सभी नागरिकों को समान अधिकार देने के विषय में स्पष्ट भूमिका होते हुए भी देश में ‘समान नागरिक कानून’ लागू नहीं किया जाता । मस्जिद-चर्च के लिए स्वतंत्र कानून बनानेवाली ‘सेक्युलर’ सरकार हिन्दुआें के मंदिरों पर नियंत्रण कर, सरकार की इच्छानुसार हिन्दुआें की देवनिधि का उपयोग कर रही है । शबरीमला जैसे स्थानों पर हिन्दुआें की प्राचीन परंपराएं भी नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है । एक ओर यह सब हो रहा है, तो दूसरी ओर ईसाईबहुल मिजोरम राज्य में राज्य सरकार ने ईसाई पद्धति से पदग्रहण समारोह किया और ‘हमारा राज्य इसाई है, यहां हमें हिन्दू राज्यपाल की आवश्यकता नहीं’, ऐसी विचित्र मांग की । देश के संविधान में जुडा ‘सेक्युलर’ शब्द आज भी जम्मू-कश्मीर की कोई भी सरकार राज्य के संविधान में नहीं जोड पाई । इसी कारण देश के हिन्दुआें को भी सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए हिन्दू राष्ट्र का संकल्प हिन्दू संगठनों ने किया है । भारत अनादि काल से स्वयंभू सनातन हिन्दू राष्ट्र है । भारत में यहूदी, पारसी, ईरानी आदि जो पंथ आश्रय लेने आए, उस सभी को इस देश के हिन्दू राजाआें ने आश्रय दिया । इतना ही नहीं, इस देश में आक्रमणकारी लुटेरे के रूप में आए मुसलमानों की पीढियों को भी हिन्दू समाज ने अपना माना है । उन्होंने धर्म के आधार पर किए भारत के विभाजन का दुःख भूलकर, देश में उन्हें अल्पसंख्यक के रूप में विशेष अधिकार दिए हैं । हिन्दू समाज ने इतना त्याग किया है, तब भी हिन्दू राष्ट्र की मांग करने पर ‘सेक्युलर’वादियों के पेट में दर्द क्यों होता है ?