भारत में पोर्टेबल पेट्रोल पम्प्स शुरू करने के लिए चैक टेक्नोलॉजी

नई दिल्ली –  चैक गणराज्य की टेक्नोलॉजी के जरिए भारत में भी शीघ्र ही पोर्टेबल पेट्रोल पम्प शुरू किए जाएँगे।

ये किफायती हैं और इसे आसानी से मात्र 2 घंटे में लगाया जा सकता है। पोर्टेबल पेट्रोल पम्प पहाड़ी, ग्रामीण और शहरी इलाकों में भी लगाए जा सकते हैं, जहां जमीनें बहुत महंगी हैं। चैक कंपनी पेट्रोकार्ड की यह टेक्नोलॉजी भारत में एलिंज ग्रुप इंडिया लेकर आ रहा है। यह दिल्ली की एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है।

एलिंज ग्रुप के प्रमुख इंदरजीत प्रूथी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि पोर्टेबल पेट्रोल पम्प सेल्फ सर्विस डिस्पेंसिंग मशीन होंगे। इसमें कई तरह के फ्यूल जैसे पेट्रोल, डीजल, कैरोसिन और बाद में सीएनजी और एलपीजी भी शामिल होंगे। इसमें पेमेंट क्रेडिट या डेबिट कार्ड, इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट से ही किया जा सकेगा। इसमें नगदी लेनदेन नहीं होगा।

इस डिवाइस की टैंक की क्षमता 9975 लीटर से लेकर 35,000 लीटर तक की होगी। इसमें 220 वोल्ट का पावर बैकअप होगा। ट्रेकिंग और सुरक्षा के लिए कैमरा, जीपीआरएस सिस्टम, सैटेलाइट इंटरनेट कम्युनिकेशंस इसमें लगे होंगे।

स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और अग्नि से सुरक्षा को दिमाग में रखते हुए यह मशीन तैयार की गई है। श्री प्रूथी ने बताया ‘केंद्र सरकार ने 10 अगस्त को इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है, इसके बाद से हम कई राज्य सरकारों के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं। आवंटन और स्थान राज्य सरकारों के साथ मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां नीतियों के अनुसार तय करेंगी।’

उन्होंने कहा कि कंपनी की योजना अगले 5 से 6 वर्ष में 8000 पोर्टेबल पेट्रोल पम्प्स देने की है। ऐसे प्रत्येक पम्प पर खर्च 90 लाख रु. से लेकर 1.20 करोड़ रु. तक का होगा, इसके लिए बैंक से कर्ज भी मिल सकता है। उन्होंने बताया- ‘हमारी भूमिका टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर की होगी। हम यहां पोर्टेबल पेट्रोल पम्प्स का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं करेंगे।’

चूंकि मशीन पोर्टेबल है और यह लोगों की आपात जरूरतों को पूरा करेगी, पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स आसानी से ग्रामीण इलाकों, किसानों और एंटरप्रेन्योर तक पहुंचेंगे, जिससे वे लाभान्वित होंगे।

श्री प्रूथी ने बताया कि इंडियन रेलवेज़, ऑइल मार्केटिंग कंपनीज़, राज्य सरकारों और देश के अन्य अधिकारियों को इसका प्रेजेंटेशन किया जा चुका है। कंपनी की योजना कम से कम चार प्रदेशों में 1600 करोड़ रु. का निवेश करते हुए मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स लगाने की भी है।