रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने भारतीय रेल के आंतरिक लेखा प्रणाली तथा आंतरिक लेखा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की। बैठक में वित्त आयुक्त (रेल) बी.एन.महापात्र, सलाहकार (निगरानी), वित्त सलाहकार और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
श्री सुरेश प्रभु ने प्रभावी आंतरिक नियंत्रण प्रणाली और आंतरिक लेखा को व्यवस्थित और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो प्रक्रियाओं की अवहेलना, प्रणाली की विफलता आदि को ढूंढ़ने में सक्षम हो।
क्षेत्रीय स्तर पर कार्य व जवाबदेही को सौंपने के कारण मजबूत व प्रभावी आंतरिक लेखा प्रणाली की जरूरत और भी बढ़ गई है। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि आंतरिक लेखा अध्ययन के लिए प्रत्येक जोन में आंतरिक लेखा समूहों का गठन किया जाना चाहिए।
श्री सुरेश प्रभु ने सुझाव देते हुए कहा कि लेखा समूहों को बाहरी संगठनों द्वारा बताये जाने के पहले ही प्रणाली की गड़बडि़यों को ढूंढ़ने में सक्षम होना चाहिए। आंतरिक लेखा समूहों को निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए – यात्रियों के खानपान, टिकट, सफाई, यात्रा के दौरान साफ-सफाई की व्यवस्था और खरीद प्रक्रिया आदि। आंतरिक लेखा समूह को आंतरिक प्रणाली आधारित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें प्रणालीगत विफलताओं को ढूंढ़ने में जोर दिया जाए। समूह को प्रणाली को बेहतर बनाने तथा अन्य सुधारों के लिए भी सुझाव देना चाहिए। मंत्री महोदय ने कहा कि आंतरिक लेखा से राजस्व की हानि रोकी जानी चाहिए और ज्यादा खर्च को नियंत्रित करना चाहिए। इसके लिए नीतियों और प्रक्रियाओं में संतुलन स्थापित करते हुए प्रणालियों व प्रक्रियाओं को और भी मजबूत बनाना चाहिए।